रोजगार मुहैया कराने में प्रदेश में बुनकरों का दूसरा स्थान है लेकिन इन्हें दिया क्या जा रहा है




संवाददाता अमित तिवारी 

आजमगढ़। विधान परिषद् सदस्य शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने विधान परिषद में खुद को बुनकरों का वकील बताते हुए सदन में बुनकरों की समस्याओं को उठाया और उनके लिए विशेष पैकेज की मांग के साथ ही प्रधानमंत्री जी के नाम से 300 करोड़ की प्रस्तावित टैक्सटाइल्स पार्क को आजमगढ़ मंडल में बनाये जाने की बात कही। 
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद् सदस्य शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने कहा कि कृषि के बाद हथरकघा उद्योग प्रदेश में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाला कुटीर उद्योग है, बुनकर उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण मुख्य अंग है, सरकार यह मानती भी है, किसानों के बाद रोजगार मुहैया कराने में प्रदेश में बुनकरों का दूसरा स्थान है लेकिन इन्हें दिया क्या जा रहा है। 
सरकार को घेरते हुए एमएलसी श्री आलम ने यह भी कहाकि बजट को बड़ा बताने वाले बुनकरों को दे क्या रहे है, बुनकरों के लिए दिल इतना छोटा क्यों है, मुझ इस चीज को देखकर और निराशा हुई कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी जिनका हम सभी सम्मान करते है, हमारे भी आदर्श है उनके नाम पर भी एक योजना चलाई मगर मात्र 400 करोड़ का ही प्रोविजन किया गया है। इस पर उन्होंने तंज कसा कि सरकार कम से कम उनके नाम की गरिमा की लाज रखती। अब देखिये, मेरा जो राजनीतिक जीवन शुरू हुआ, वह मुबारकपुर विधानसभा से दो बार लगातार विधायक हुआ, जहां एक लाख से ऊपर बुनकर भाईयों की आबादी है, मैं उनके हर दुख दर्द, जीवनशैली उनकी जीविका हर चीजों को भली-भांति जानता हूं। करीब से उनके दुख दर्द को देखा हैं उनकी पीड़ा किसान भाईयों से कम नहीं हैं। सरकार को विपक्ष की बातों को भी सकारात्मक रूप से लेकर विचार करना चाहिए, यहीं मेरा सरकार से अनुरोध है। इसमे थोड़ा पैसों का और प्रोविजन करना चाहिए। 
उन्होंने सपा संस्थापक को याद करते हुए कहाकि पहले जब आदरणीय मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे तो बुनकरों की दुख-दर्द को समझते हुए 70 रूपए में सामान्य रेट पर बिजली देते थे, अब वह खत्म कर दिया गया। इसे खत्म करने के बाद बड़ी मंथन करने के बाद इस सरकार में बुनकरों को अर्द्ध हाफ चार सौ रूपये देना पड़ रहा है, उसके ऊपर एक हो जाए तो 7 सौ रूपए देना है, तो यह बुनकरों पर अत्यधिक भार है। अगर सरकार वाकई बुनकरों को कमजोर तबका मानती है और इसके योगदान को बड़ा समझती है तो निश्चित ही कुछ और बड़ा दिल करके उनको सरकार को देना चाहिए। 
एमएलसी शाह आलम ने पहली मांग करते हुए सदन में कहाकि बुनकर भाईयों के लिए आप उनकी सब्सिडी अगर पुराने रेट पर नहीं कर सकते तो ज्यादा से ज्यादा दो सौ रूपया कर दीजिए। सदन से उन्होने कहाकि वह आजमगढ़ मंडल के जिले से ही वास्ता रखते है जो बुनकरों का बहुत बड़ा बेल्ट है। इसी मंडल में मऊ, बलिया भी आता है बगल में गाजीपुर, अम्बेडकर नगर सटा हुआ है। 
उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री जी के नाम से कोई योजना चल रही है जिसमे कोई टैक्सटाइल्स पार्क बनाने को कोई 300 करोड़ रूपये प्रोविजन दे दिया गया है। मैं आपके माध्यम से सरकार से यह मांग करता हूं कि यह पार्क आजमगढ़ मंडल में बनाया जाए। साथ ही बनारस में जो एक केंद्र बनाया है जहां के धागे उसका सेंटर है कि सब्सिडी में बुनकर भाइयों को सब्सिडी में धागे मिलते है और यह गरीब बुनकर भाई उसका फायदा नहीं उठा पाते, इसलिए बनारस में जो सेंटर हे उसका एक सेंटर आजमगढ़ में भी खुलवा दिया जाए, बुनकरों की परेशानी खत्म हो जाएगी। इसी सब बातों को लेकर मुझे याद है कि 2012 में इस समस्या को सदन में ले आया। उस वक्त के परिवहन मंत्री माननीय दुर्गा प्रसाद यादव थे। मैंने उनसे कहाकि मुबारकपुर में एक रोडवेज बस डिपो बनाया जाए और वह सपा सरकार में कई करोड़ रूपये लगाकर गजहड़ा में बना भी लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है कि पैसा भी लग गया लेकिन आज तक डिपो चालू नहीं हो सका। कभी-कभी सोचता हूं कि सरकारें आती-जाती है, आज आप है कल कोई और हो सकता है लेकिन जो भी सरकार में है हम सबकी जिम्मेदारी होती है पब्लिक मनी को वेस्ट न होने दें। सरकार जो पैसा लगाती है वह निश्चित ही प्रदेश की जनता का ही पैसा है। अब वह पैसा लगने के बाद ठीक से चालू नहीं हो पा रहा है तो यह बड़ा दुर्भाग्य हैं। 
उन्होंने सदन में बड़ी विनम्रता से सरकार से अनुरोध करता हूं कि मुबारकपुर बस डिपो को ठीक से तत्काल मजबूती से चालू कराया जाए इसे वाराणसी से गोरखपुर वाया मुबारकपुर रूट से जो बसों संचालित होती थी उन बसों को चालू कराया जाए, जब आदरणीय अखिलेश यादव जी सीएम थे वहां पर एक बुनकर विपणन केंद्र भी बना था। मंशा यह थी कि मुबारकपुर के साथ साथ बगल में मऊ के बुनकरों के दो से ढ़ाई लाख की आबादी को विपणनकेंद्र से जोड़ा जाए और उन्हें साप्ताहिक मेला लगाकर लांभवित किया जाए।
इतना हीं नहीं, उन्होंने मुबारकपुर की साड़ी जो पूरी दुनिया में जाती है वह बनारसी के नाम से विख्यात है वह साड़ी मुबारकपुर में बनती है। विपणन केंद्र भी सुचारू रूप से संचालित करा दिया जाए तो बुनकरों को बड़ा फायदा होगा। उन्होंने सरकार से विनम्रतापूर्णक, हाथ जोड़कर बुनकर भाईयों के बजट को बढ़ाने की मांग करता हूं। उनके लिए विशेष पैकेज की मांग करता हूं। सरकार से यह बताना चाहता हूं उनके वकील के हैसियत से कि बुनकर भाई इस प्रदेश के रीढ़ की हड्डी है, उनको कृपया कमजोर न होने दिया जाए।

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