न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने शुक्रवार को इंदिरा भवन स्थित आयोग कार्यालय में विभिन्न जनपदों से प्राप्त 35 शिकायतों की जनसुनवाई की। सुनवाई के दौरान लंबित भुगतान, सेवा संबंधी विवाद, फर्जी जाति प्रमाणपत्र और अन्य मामलों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
लंबित भुगतान पर आदेशः कृषि विभाग के सेवानिवृत्त प्राविधिक अधिकारी डॉ. धर्मराज सिंह के मामले में 7,66,252 रूपए की ग्रेच्युटी राशि के भुगतान का आदेश दिया गया। आदेश की प्रति शिकायतकर्ता को सौंपी गई, जिससे वह संतुष्ट रहे और प्रकरण निस्तारित कर दिया गया।
अन्यायपूर्ण दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष जांचः अरविंद कुमार वर्मा बनाम पुलिस आयुक्त, लखनऊ के मामले में भू-माफियाओं के प्रभाव में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए। सुनवाई में एसीपी गोसाईंगंज किरन यादव उपस्थित रहीं।
पेंशन भुगतान की पुष्टिः बस्ती जनपद के श्याम नारायण की पेंशन संबंधी शिकायत पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें बताया गया कि सभी भुगतान किए जा चुके हैं।
एसीपी लाभ का निस्तारणः मैनपुरी के राम प्रसाद शाक्य के मामले में डिप्टी कमिश्नर, राज्य कर, इटावा ने बताया कि उन्हें एसीपी (असिस्टेंट प्रोन्नति योजना) का लाभ दे दिया गया है।
शिक्षिका के लंबित वेतन भुगतान पर नाराजगीः बाराबंकी की सहायक अध्यापिका बबिता सिंह के वेतन भुगतान में देरी पर नाराजगी जताते हुए 11 मार्च 2025 को अगली सुनवाई निर्धारित की गई। तब तक भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
फर्जी जाति प्रमाणपत्र की जांचः अमरोहा में नगरपालिका परिषद, हसनपुर की अध्यक्ष नीलम शान द्वारा कथित रूप से फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर चुनाव लड़ने की शिकायत पर आयोग ने एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
विनियमितीकरण पर सख्तीः शामली के प्रदीप कुमार के विनियमितीकरण मामले में क्षेत्रीय वनाधिकारी, मुजफ्फरनगर को सभी अभिलेखों सहित अगली सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया। पिछड़े वर्ग के कर्मचारियों के साथ भेदभाव पाए जाने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
सुनवाई में कई मामलों में सक्षम अधिकारी अनुपस्थित रहे, जिस पर अध्यक्ष ने नाराजगी व्यक्त की। भविष्य में सुनवाई में गैरहाजिर रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजने की चेतावनी दी गई।
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