आज पूरे प्रदेश में होंगे विरोध प्रदर्शन, आगरा में बैठेगी बिजली पंचायत



संवाददाता जाबिर शेख

लखनऊ पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के विरोध में अभियंताओं का विरोध प्रदर्शन जारी है। वे निजीकरण की खामियां गिना रहे हैं। मंगलवार को आगरा में बिजली पंचायत होगी, जिसमें निजीकरण से होने वाले उपभोक्ताओं और कार्मिकों के नुकसान के बारे में जानकारी दी जाएगी।अभियंताओं ने यह भी संकल्प लिया कि वे एकमुश्त समाधान योजना के क्रियांवयन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने देंगे।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के विरोध में सोमवार को विभिन्न कार्यालयों एवं परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया गया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन पर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के उलंघन का आरोप लगाया। पदाधिकारियों ने एक्ट की धारा 131 में परिसंपत्तियों का राजस्व क्षमता के अनुसार मूल्यांकन कर ही हस्तांतरण करने का नियम है।
प्रबंधन द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वांचल में 15596 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 13938 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य है। परिसंपत्तियां खरबों रुपये की है, जिसे बेचने के लिए 1500 करोड़ रुपये रिजर्व प्राइस रखी गई है। पूरी जमीन निजी घरानों को मात्र एक रुपये प्रति वर्ष की लीज पर दे दी जाएगी। समिति के पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित आदि ने कहा कि निगम की परिसंपत्तियों का ऑडिटेड मूल्य और राजस्व क्षमता सार्वजनिक करना चाहिए।
मंत्री राजभर से मिलकर आरक्षण बचाने की अपील,
पावर आफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर से मिलकर पूर्वांचल व दक्षिणांचल को पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की दिशा में ले जाने के मामले में ज्ञापन सौंपा। बताया कि इससे करीब 16 हजार आरक्षित पद समाप्त हो जाएंगे। पदाधिकारियों ने कैबिनेट मंत्री से आरक्षण बचाने की अपील की। इस दौरान एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, अनिल कुमार, आरपी केन, बिंद्रा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, आनंद कनौजिया, विनय कुमार आदि मौजूद रहे।
जनसंपर्क महा अभियान जारी राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष गोपाल वल्लभ पटेल ने जारी बयान में बताया कि निजीकरण के विरोध में संगठन की ओर से प्रदेश स्तर पर जनसंपर्क महाअभियान चलाया जा रहा है। सोमवार को विभिन्न जिलों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को पत्र सौंपे गए और निजीकरण पर विरोध जताने की मांग की गई।
टेंडर खुलने से पहले दे दिया था टरबाइन मशीन का आर्डर
उपभोक्ता परिषद ने उठाया सवाल, उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग
उपभोक्ता परिषद ने मिर्जापुर में लग रही 1600 मेगावाट थर्मल पावर परियोजना की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। यह भी बताया कि संबंधित कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया खुलने से पहले ही टरबाइन मशीन का आर्डर दे दिया था। इससे स्पष्ट है कि कंपनी को पहले से पता था कि टेंडर उसके ही हाथ में आने वाला है।
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि मिर्जापुर में 800-800 मेगावाट की दो थर्मल पावर प्लांट का टेंडर 10 अक्तूबर 2024 में खुला। लेकिन टेंडर हासिल करने वाली कंपनी ने जून 2024 में ही भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) को करीब 7000 करोड़ के दोनों टरबाइन और प्लांट उपकरण का आर्डर दे दिया था। परिषद अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले की जांच कराई जाए। यह पावर हाउस लगभग चार साल में बनकर तैयार होगा। इसकी दर करीब छह रुपये प्रति यूनिट जाएगी, जबकि पावर एक्सचेंज पर प्रदेश के चार रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है।

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