राष्ट्रीय लोकदल नेता जयंत चौधरी के भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने की अटकलों के बीच सपा की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है. प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि उनके एनडीए में शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के लिए जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के एनडीए में शामिल होने की अटकलों पर समाजवादी पार्टी की तरफ से बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने राष्ट्रीय लोकदल के एनडीए में शामिल होने अटकलों पर कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन कहां जा रहा है उससे, फाइनल होने दो देखते हैं .. जनता बड़ी है .. चुनाव के समय कोई आता और जाता है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.'
नीतीश कुमार के 'चरित्र' पर उठाए सवाल
रामगोपाल यादव ने आगे कहा कि जयंत चौधरी का वोट पहले ही भाजपा में जा चुका है. ये चुनाव आने वाला है और जनता ही तय करती है कि कौन नेता है कौन नहीं है. चुनाव के वक्त जो आता-जाता है वो कोई मायने नहीं रखता है. नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि उनका चरित्र ही भागने वाला रहा है और हो सकता है कि वो फिर वापस आ जाएं.
इससे पहले समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव ने दावा किया है कि जयंत चौधरी हमारे साथ हैं. सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा, "आरएलडी की गठबंधन की फर्जी अफवाह बीजेपी चला रही है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. आरएलडी हमारे साथ है और आगे चुनाव में भी हमारे साथ ही रहेगी. हम लोग मिलकर चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी को हराएंगे." वहीं 11 फरवरी को विधायकों को अयोध्या ले जाने पर भी शिवपाल ने कहा कि सपा के विधायक वहां नहीं जाएंगे. उस दिन जाने का कोई विशेष महत्व नहीं है, पहले बात निमंत्रण की थी जो हमें नहीं मिला था. अब हम अपनी सुविधा से जाएंगे.
एनडीए में जा सकते हैं जयंत चौधरी
ऐसी अटकलें लगाई जा हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सपा के साथ सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनने पर रालोद भाजपा की अगुवाई वाले राजग में शामिल हो सकता है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने यूपी में आरएलडी को चार लोकसभा सीटों का ऑफर दिया है. इसके बाद चर्चाएं तेज हैं कि आरएलडी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट सकता है.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने जो 4 सीटें आरएलडी को ऑफर की हैं, उनमें कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा शामिल हैं. वहीं समाजवादी पार्टी चाहती थी कि उसके उम्मीदवार मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर लोकसभा सीटों पर आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ें. इसके चलते आरएलडी और सपा गठबंधन में टूट के कारण बनते दिख रहे हैं.
हालांकि रालोद नेता जयंत चौधरी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है. जाट मतदाता परम्परागत रूप से रालोद का मुख्य वोट बैंक रहे हैं. जाट बहुल लोकसभा क्षेत्रों में मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, मथुरा, बागपत, अमरोहा और मेरठ शामिल हैं, जिन पर रालोद के चुनाव लड़ने की संभावना है. दोनों दलों ने वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा था तब सपा ने 111 सीटें जीती थीं, जबकि रालोद को 9 सीटें मिली थीं।
विशेष रिपोर्ट
ए के सिंह
आज तक से साभार
Post a Comment