मुंबई:सुरों के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी साहब की बरसी31 जुलाई 1980 को हुआ था मरहूम मोहम्मद रफ़ी साहब का देहांत स्वर्गीय

मुंबई:सुरों के शहंशाह 
मोहम्मद रफ़ी साहब की बरसी
31 जुलाई 1980 को हुआ था मरहूम मोहम्मद रफ़ी साहब का देहांत स्वर्गीय 
 मोहम्मद रफ़ी साहब को इस दुनिया से गए 42 वर्ष हुए है पर आज भी रफ़ी साहब करोड़ों लोंगो के दिलों मे जिन्दा है और उनकी आवाज आज भी सीटी हो या देहात रोड हो या गली Tv हो या Mobile हर जगा उनकी आवाज सुबह व शाम गूंजती है
मोहम्मद रफ़ी साहब का बॉलीवुड कॅरियर काफी शानदार रहा और उन्होंने अपने जीवन में 26 हजार से ज्यादा गाने गाए. लेकिन लोकप्रियता के पीछे कभी नहीं भागे
क्या हुआ तेरा वादा, लिखे जो खत तुझे, बाबुल की दुआएं लेती जा और अन्य जैसे उनके गीत अभी भी लोगों कि यादों में बसें है और भावनाओं से जुड़े हैं
मोहम्मद रफ़ी साहब सिर्फ एक गायक ही नहीं थे, बल्कि अपने भावपूर्ण संगीत से हर दिल को छूने की क्षमता रखते थे
मोहम्मद रफ़ी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1924 को हुआ था। उन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महान और सबसे प्रभावशाली गायकों में से एक माना जाता है.. रफी साहब अपनी बहुमुखी प्रतिभा और आवाज की सीमा के लिए उल्लेखनीय थे
उन्हें छह फिल्मफेयर पुरस्कार और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका था। 1967 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2001 में रफ़ी साहब को हीरो होंडा और स्टारडस्ट पत्रिका द्वारा "मिलेनियम के सर्वश्रेष्ठ गायक" के खिताब से सम्मानित किया गया था। 2013 में CNN-IBN के सर्वेक्षण में रफ़ी साहब को हिंदी सिनेमा की महानतम आवाज़ के लिए वोट दिया गया था।संवाददाता जावेद शेख।

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