28 साल बाद शातिर आरोपी को जाल मे फसाने के लिये पुलिस ने किया काफ़ी संघर्ष



संवाददाता,,,सगीर अंसारी

मुंबई : 20 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में 28 साल से फरार आरोपी को पुलिस ने दबोचने में सफलता हासिल की है. बार-बार आवास बदलने वाले आरोपी के घर का पता चुनाव यादी से मिलने के बाद पुलिस वहा पहुंची लेकिन आरोपी का कहीं पता नहीं चला। तब पुलिस ने बेस्ट के इलेक्ट्रीशियन होने का दावा करते हुए उस से संपर्क किया लेकिन उन्होंने कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में जबबिजली की आपूर्ति काट दिए जाने की बात कहीं तो आरोपी घर आया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

ग्रांट रोड इलाके में रहने वाले राजीव खंडवाल को आरोपी वीरेंद्र प्रवीणचंद्र संघवी उर्फ ​​महेश शाह ने अलग-अलग कंपनियों के शेयर सस्ते में देने लालच दिया जिससे प्रलोभन में आकर खंडेलवाल ने 1995 में उन्हें 20 लाख रुपये दिया। बदले में वीरेंद्र ने उसको फर्जी शेयर दिए। खंडेलवाल की शिकायत पर डी बी मार्ग थाने में मामला दर्ज किया गया और वीरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी के खिलाफ सबूत जुटाए गए और चार्जशीट कोर्ट में पेश की गई। वीरेंद्र को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया और वह 1996 से अदालत में पेश नहीं हुआ। इसलिए कोर्ट ने उसे फरार घोषित कर दिया था।

डी बी मार्ग पुलिस की एक टीम वीरेंद्र की तलाश मे थी। गिरफ्तार के समय उसने सायन में अपना पता बताया था। सहायक निरीक्षक रोकड़े उप निरीक्षक नितिन जाडे, कांगणे की टीम ने बार-बार मौका मुआयना करने पर भी उसका पता नहीं चला। वह अब कहां है इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी। सायन इलाके में 40 से 50 लोगों से पूछताछ कर तलाशी ली गई तो उन्होंने तीन से चार अलग-अलग पते बताए। इन सभी पतों पर जाकर जांच की गई लेकिन वीरेंद्र का कुछ पता नहीं चला। रजिस्टर में उसके नाम की तलाशी ली गई तो पता चला कि उसका दानबंदर इलाके में एक कमरा है। वह इस स्थान पर भी नहीं रहते थे। यहां जाकर पुलिस को एक संपर्क नंबर मिला।

पुलिस ने वीरेंद्र से यह कहकर संपर्क किया कि वे कमरे का बिजली बिल सत्यापित करना चाहते हैं लेकिन उसने आने से इनकार कर दिया। बेस्ट कर्मचारी बनी पुलिस ने कहा कि दस्तावेज पूरे नहीं होने के कारण वे बिजली की आपूर्ति काट रहे है।बिजली आपूर्ति बाधित होने के डर से वीरेंद्र मौके पर आया और पुलिस ने उसे पकड़ने में कामयाबी हासिल की।

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